E-Commerce बिज़नेस क्या होता है?

E-Commerce बिज़नेस क्या होता है?

दोस्तों इस पोस्ट के जरिये हम जानेंगे कि E-Commerce  बिज़नेस क्या होता है, E-commerce का इतिहास क्या है,E-commerce बिज़नेस के कितने प्रकार है, और E-commerce के क्या फायदे है।

अगर भगवान् ने कोई नायाब चीज बनाई है तो वह है इंसान और उसमे बसने वाला दिमाग। इंसान के मष्तिस्क ने जिस चीज़ की मांग की है उसे पाया है।

E-Commerce बिज़नेस क्या होता है

इस मॉडर्न युग में साइंस और टेक्नोलॉजी ने बहोत तरक्की की है। जो चीज हमें 15-20 साल पहले असंभव-सी लगती थी वह आज हमारे सामने एक कामयाब रूप में है।

इक्कीसवे सदी में आते-आते मोबाइल में नए-नए आविष्कार(invention) हुए इसके साथ ही web की दुनिया को लोगों ने समझा।

इस तरह से जो इंटरनेट की क्रांति हुई उससे मोबाइल के smart रूप या कंप्यूटर के साथ web की दुनिया को इंटरनेट के जरिये एकत्रीकरण करके एक नया बिज़नेस का तरीका विकसित किया गया, जिसका नाम है E-Commerce.

E-Commerce बिज़नेस क्या होता है:


E-commerce यह शब्द E तथा Commerce इन दो शब्दो से मिलकर बना है। E-commerce यह शब्द “Electronic Commerce” का संक्षिप्त रूप है।

E का मतलब है-Electronic, E का इस तरह से एक बड़ा अर्थ है-इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क अर्थात इंटरनेट।

ऐसी प्रकार से Commerceका अर्थ होता है व्यापार। व्यापार में सम्मिलित होता है कि किसी भी products या services को खरीदना तथा बेचना।

इस प्रकार E-Commerce का अर्थ होता है कि इंटरनेट के माध्यम से वस्तुओ और सेवाओं को खरीदना तथा बेचना।

E-commerce का इतिहास क्या है:

ऐसा माना जाता है कि E-commerce की शुरुआत 1970 के दशक में शुरू हुई थी। जब वस्तुएँ खरीदने एवं बेचने के लिए बिज़नेस डाक्यूमेंट्स को शेयर करने के लिए Electronic Data Interchange (EDI) का प्रयोग शुरू किया था।

उसके बाद 1979 में एक अमेरिकन कंपनी American National Standards Institute ने इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क के माध्यम से डाक्यूमेंट्स को साझा करने के व्यवसायों के लिए ASC X12 को एक universal standard के रूप में विकसित किया।

इसके माध्यम से व्यावसायिक दस्तावेजो जैसे–Purchase orders invoice को इलेक्ट्रोनिक रूप से भेजा जाता था। कुछ समय बाद इस गतिविधियों में बढ़ोतरी हुई और इन इलेक्ट्रोनिक रूप को web forms के नाम से जाना जाने लगा।

E-commerce,1991 को पहली बार व्यापारिक क्रियाकलापों के लिए खोला गया। तब से हजारों-लाखो लोगों ने इसका उपयोग ऑनलाइन खरीदी-बिक्री के लिए किया।

ई-कॉमर्स के इतिहास को प्रमुख अमेरिकन कम्पनीज Ebay और Amazon के बिना सोचना असंभव है, जो इलेक्ट्रॉनिक transaction को शुरू करने वाली पहली इंटरनेट कंपनियों में से थे। इन कम्पनीज की वजह से ही ई-कॉमर्स उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव आया।

आज के युग में कंप्यूटर का प्रयोग हर क्षेत्र में अधिक से अधिक होने लगा है। इंटरनेट आने के बाद सभी बिज़नेस हाउस अपने व्यवसाय का विस्तार कंप्यूटर के माध्यम करने लगे है।

इसका सबसे ज़्यादा फायदा ये है की इसके प्रयोग से कम समय में अधिक से अधिक कार्य संपन्न हो जाता है।

और कोई भी सूचना सिर्फ़ एक क्लिक से एक स्थान से दूसरे स्थान पर पूरी दुनिया को कही भी भेजी जा सकती है।

यह सूचना अलग-अलग फोर्मेट में हो सकती है, जैसे text, audio, image, graphics, इत्यादि।

E-commerce बिज़नेस के कितने प्रकार है :

कई प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स बिज़नेस हैं, सामान्यतः. e-commerce में एक supplier और client के बीच एक online commercial transaction होता है।

हालांकि यह विचार थोड़ा विस्तृत है और वास्तव में ई-कॉमर्स को छह प्रमुख प्रकारों में बाँटा गया है और वह भी अलग-अलग विशेषताओं के साथ।

E-commerce के 6 निम्नलिखित प्रकार है:-



  •  B2C (Business to Consumer) 
  •  B2B (Business to Business) 
  •  C2C (Consumer to Consumer) 
  •  C2B (Consumer to Business) 
  • B2A (Business to Administration) 
  •  C2A (Consumer to Administration) 
  •  B2C (Business to Consumer):


इस बिज़नेस में एक बिज़नेस आर्गेनाईजेशन(organisation) इंटरनेट पर product/services को सिधे उपभोक्ता (consumer/ customer) को बेचता हैं। यह इ-कॉमर्स का सबसे बड़ा मार्किट है।

इसमें कस्टमर प्रोडक्ट या सर्विस को सीधे ऑनलाइन कम्पानी की वेबसाइट में देख सकता है तथा पसंद आने पर उसे order कर सकता है।

कंपनी को order की जानकारी मिल जाने के बाद कंपनी प्रोडक्ट को सीधे कस्टमर को भेज देती है। उदाहरण के लिए आप Amazon, Flipkart,  Snapdeal इत्यादि।

  • B2B (Business to Business):

यहाँ कंपनियाँ इंटरनेट पर अन्य कंपनियों को प्रॉडक्टय या सर्विसेस को बेचती हैं। इस प्रकार के e-commerce में seller तथा buyer दोनों business organization होते है।

अर्थात एक business organization अपने प्रोडक्ट को दूसरे business organization को बेचती है।

नतीजतन, B2B e-commerce का volume और value बहुत बड़ी हो सकती है।

  • C2C (Consumer to Consumer): 

इस प्रकार के बिज़नेस में एक कंज्यूमर अपने द्वारा बनाये या उसे किये प्रोडक्ट या सर्विस को किसी दूसरे कंज्यूमर को इंटरनेट पर बेचता हैं।

इसमें एक कंज्यूमर अपने घर के सामान- जैसे अपनी पूरानी टीवी, कार, बाइक जैसी अपनी प्रॉपर्टी को अन्य कंज्यूमर को इंटरनेट के third party जैसे OLX, Car-dekho के माध्यम से बेचता हैं।

आम तौर पर ये third party सामान खरीदने या बेचने के लिए ऑनलाइन प्लेटफार्म प्रदान करते है।

और सर्विस के लिए कंज्यूमर को सर्विस चार्ज करती हैं या कभी-कभी डिस्काउंट या फ्री में सर्विस देती हैं।

  • C2B (Consumer-to-Business): 

यह एक इंटरेस्टिंग और माल का आदान-प्रदान करने की परंपरागत (traditional) समझ से उलटी प्रक्रिया (reverse process)है। C2B में कस्टमर अपने प्रोडक्ट या सर्विस को कम्पनी को बेचता है।

उदाहरण के लिए अगर आप कंटेंट राइटर है तो आप अपने राइटिंग स्किल्स को ढेर सारी blogging कंपनियों बेच सकते है।

इसी तरह आप आपके किसी भी talent को upwork, fiverr तथा freelancer websites के द्वारा बेच सकते है।

  • C2B (Consumer-to-Business): 

यह एक इंटरेस्टिंग और माल का आदान-प्रदान करने की परंपरागत (traditional) समझ से उलटी प्रक्रिया (reverse process)है। C2B में कस्टमर अपने प्रोडक्ट या सर्विस को कम्पनी को बेचता है।

उदाहरण के लिए अगर आप कंटेंट राइटर है तो आप अपने राइटिंग स्किल्स को ढेर सारी blogging कंपनियों बेच सकते है।

इसी तरह आप आपके किसी भी talent को upwork, fiverr तथा freelancer websites के द्वारा बेच सकते है।

  • B2A (Business to Administration): 

Business to Administration भी एक तरीका है ई-कॉमर्स का। यहाँ Administration का मतलब है सरकार (Government) इसलिए इसका नाम business to government (B2G) ई-कॉमर्स है।

B2A प्रणाली में business organization तथा government agency वेबसाइट के द्वारा सूचना का आदान-प्रदान करते है।

Government किसी प्राइवेट बिज़नेस को कोई काम देती है।

जैसे कि किसी demographic एरिया का सर्वे। कंपनी यह काम करती है और गवर्नमेंट को जानकारी देती है।

  • C2A (Consumer to Administration): 

C2A (consumer to administration) ई-कॉमर्स को consumer to government ई-कॉमर्स भी कहते है।

C2A प्रणाली में, consumer तथा government agency के बिच में सूचना का आदान-प्रदान वेबसाइट के माध्यम से होता है।

यह एक प्रभावी माध्यम है, आम लोगों को गवर्नमेंट सिस्टम में जोड़ने का। इससे गवर्नमेंट को feedback भी मिलता है।

E-commerce के क्या फायदे है:

1) आप अपनी सुविधा के अनुसार वस्तुओ या सर्विस की ऑर्डर अपने घर पर बैठ कर दे सकते हैं। और आपको उन वस्तुओं या सर्विस की डिलेवरी आपके घर पर ही मिल जाती हैं।आज-कल यह ट्रेंड का बहोत ज़्यादा चालान है।

अगर आप व्यस्त है, तो आपके लिए यह खरीदारी का सबसे अच्छा ऑप्शन है।

2) किसी प्रॉडक्ट को ख़रीदने से पहले हम उस प्रोडक्ट के बारे में reviews तथा comment पढ़ के उस प्रोडक्ट की quality के बारे में जान सकते है। जिससे हममे सामान का ख़रीदने में आसानी होती है।

अलग-अलग प्रॉडक्ट के फीचर्स और किमत की तुलना कर सकते है। हर कोई चाहता है कि खरीदारी करते समय उसे बेहतरीन प्रॉडक्ट पर उसे अच्छी डील में मिल जाये।

यह डील ग्राहक को ऑनलाइन शॉपिंग के द्वारा ज़्यादा सरलता से मिलने की सम्भावना रहती है।

और इसके साथ ही वे कभी-कभी डिस्काउउंट और कूपन जैसे अतिरिक्त लाभों का आनंद ले सकते हैं।

3) Traditional business (ट्रेडिशनल बिज़नेस) में पहुंच एक सिमित दायरे में होती है। जैसे कि दुकान की पहुंच काफी सीमीत होती हैं।

इसके विपरीत ई-कॉमर्स यह एक international बाज़ार है जो 24 * 7 (हर समय) खुला रहता है।

आप कोई भी चीज कभी भी खरीद सकते है या आपकी कोई भी चीज कभी भी बिक सकती है।

4)  कई लोगों को बिज़नेस करने की इच्छा होती है, लेकिन शॉप लेने के लिए पर्याप्त कैपिटल नहीं होता। Physical store लिज(lease) पर काफी महंगे होते है।

ई-कॉमर्स व्यापार को शुरू करने और बढ़ने के लिए आसान बनाता है।

और e-commerce सेटअप करने के लिए पैसे भी तुलना में काफी कम लगते है।

5) जब हम ट्रेडिशनल बिज़नेस की बात करते है तो उस में बिज़नेस को चलाने के लिए बहुत सारे resources खर्च हो जाते हैं। और इससे प्रॉफीट कम हो जाता हैं।

इसके विपरीत ई-कॉमर्स में resources का कुशलता से उपयोग किया जाता है क्योंकि अधिकांश बिज़नेस सर्विसेस ऑटोमेटेड होती हैं।

इसके अलावा e-commerce में सारा काम डायरेक्टली कंपनी तथा कंस्यूमर के बीच होता है।

इसमें 3rd पार्टी की ज़रूरत नहीं पड़ती जिसका सीधा फायदा organization को होता है।

6) E-commerce पर इलेक्ट्रॉनिक या मोबाइल transaction का उपयोग करते हुए पेमेंट फास्टर होता हैं।

हम आजकल ज्यादातर सामान तथा सेवाओं को बेचने तथा खरीदने के लिए e-payments का प्रयोग करते है।

जैसे:-Credit card, Debit card, Internet banking, E-wallet आदि।

7) E-कॉमर्स एक flexible बिज़नेस मॉडल का प्लेटफार्म देता है। जिससे कोई भी बिजनेस एक साथ कई प्रॉडक्ट या सर्विसेस बेच सकते हैं.

E-commerce का कार्यक्षेत्र:

आज हम ई-कॉमर्स के बगैर दुनिया की कल्पना नहीं कर सकते। अब यह इंटरनेट पर किया जाने वाला एक महत्त्वपूर्ण कार्य बन गया है। इस टेक्नोलॉजी ने सारी दुनिया को एक बाज़ार में तब्दील किया है।

अब हमारी दुनिया सही मायने में “Global Village” बन गयी है। अब ज्यादातर कंपनियों के वेबसाइट पर उनके उत्पादों और सेवाओं को न सिर्फ़ explore किया जाता है। बल्कि उन्हें पसंद आने पर ऑनलाइन खरीदने या आदेश करने की सुविधा उपलब्ध होती हैं।
वैसे ई कॉमर्स में उत्पादों और सेवाओं की खरेदी-बिक्री ही शामिल नहीं है, इसमें वे अन्य सभी व्यापारिक गतिविधियाँ शामिल हैं जो इंटरनेट और अन्य कंप्यूटर नेटवर्कों का उपयोग करते हैं।

उदाहरण के लिए:


  • Electronic fund transfer
  • E-marketing. online marketing.
  • Supply Chain Management.
  • Online transaction processing.
  • Electronic data Interchange.
  • Automated Inventory Management System and
  • Automated Data Collection आदि।


इन समस्त कार्यों में प्रमुख भूमिका है Internet, computer network, communication technology, commerce worldwide, web, and email.

वैसे देखा जाये तो इ-कॉमर्स साधारण Commercial activities का ही विस्तृत रूप है।

दोस्तों आज के पोस्ट में हमने जाना कि E-Commerce (ई-कॉमर्स ) बिज़नेस क्या होता है, E-commerce का इतिहास क्या है,E-commerce बिज़नेस के कितने प्रकार है, और E-commerce के क्या फायदे है।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.